हाई बीपी में दवा के बराबर ही प्रभावी है कसरत

हाई बीपी में दवा के बराबर ही प्रभावी है कसरत

सेहतराग टीम

हाई बीपी के मरीजों को डॉक्‍टर अकसर यह सलाह देते हैं कि वो दवा के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियों को भी बढ़ाएं। अब एक अध्‍ययन ने यह साबित किया है कि हाई बीपी में व्‍यायाम और दवा समान रूप से ही कारगर होता है। हालांकि डॉक्‍टरों ने मरीजों से कहा है कि यदि वे हाई बीपी की दवा खा रहे हैं तो व्‍यायाम करने के कारण उसे बंद न करें।

ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस के अनुसंधानकर्ताओं ने लोगों को आगाह किया है कि व्यायाम करें, लेकिन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने वाली अपनी दवा न छोड़ें। यह अध्ययन ‘ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है। मरीजों को सलाह दी गई है कि वह दवा के साथ-साथ अपनी शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं।

व्यायाम करने से सिस्टोलिक रक्तचाप कम हो सकता है। जब दिल धड़कता है तो धमनी में जो सबसे ज्यादा दाब होता है, वही रक्तचाप की रीडिंग में बड़ी वाली संख्या के रूप में दर्ज होता है। इसी को सिस्टोलिक रक्त चाप कहा जाता है। अभी यह साफ नहीं है कि रक्तचाप कम करने में दवा की मुकाबले व्यायाम को कहां रखा जा सकता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने इस अध्ययन में 39,742 लोगों को शामिल किया। सिस्टोलिक रक्तचाप कम करने में दवाओं के प्रभाव को देखने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 194 क्लीनिकल ट्रायल से आंकड़े निकाले। वहीं उन्होंने कुछ निश्चित प्रकार के व्यायामों के प्रभाव देखने के लिए 197 ट्रायल से आंकड़े निकाले।

इन व्यायामों में चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैरना सहित कई चीजें शामिल थीं। अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि दवा से जिन लोगों का इलाज हुआ था उनका रक्तचाप व्यायाम करनेवाले की तुलना में कम था। हालांकि, जब इस विश्लेषण को उच्च रक्तचाप वालों तक सीमित किया गया तो पाया गया कि व्यायाम दवा के बराबर ही प्रभावी है।

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